बर्जु ताल,सुनसरी । शहर तथा ग्रामिण क्षेत्रसबमें जनघनत्व बढैत गेलासंगे अधिकांश प्राकृतिक जलाशयसब लोप होइत गेल अछि ।

जलाशयसब लोप होइत गेलापर पोखरिमें फुलाएबला कमलके फुल सेहो लोप होइत गेल अछि । यद्यपि सुनसरीके बर्जु गाउँपालिका ६ चिमडिमें रहल पौराणिक तथा धार्मिक महत्वसंग जुडल प्राचिन बर्जुतालमें प्रत्येक बर्ष कमलके फुल फुलाईत अछि । तालमें प्राकृतिकरुपमें फुलाएबला कमलके फुल ओहिठाम गेल सबके ध्यान आर्कषित करेत अछि । मुदा फुलके संरक्षणमें पर्याप्त ध्यान नैदेलास फुलसब मानविय अतिक्रमणमें परैत आएल अछि ।

१५२ बिगाहा क्षेत्रफलके बर्जुताल परिसरके अधिकांश जलाशय क्षेत्रमें कमलके फुल फुलाएल देखलजासकैत अछि । फुलके संरक्षण नैभेलास ओहिठाम घुम गेल लोकके साथे स्थानिय ब्यक्तीसब फुल तोडिक लजाईत अछि । कमलके फूल हिन्दु समाजमें प्राचीनकालस चर्चित आ पवित्र फूल अछि । एकरा पूजापाठ, सजावटसँ लक आयुर्वेदिक औषधिके रूपमें सेहो प्रयोग कएलाईत अछि ।

अहि फूलके धार्मिक विश्वासस लक जीवन–दर्शनधरि जोडिक व्याख्या कएलजाईत अछि । कमलके फुलके पुष्पराजके संज्ञा देलगेल अछि । भगवान विष्णुके नाभिस कमलके फूल उत्पन्न भेल विश्वास कएलजाईत अछि । कमल फूलके ब्रम्हा, लक्ष्मी आ सरस्वतीके आसन बनाएलगेल अछि ।

बौद्ध धर्मके ललित विस्तार ग्रन्थमें कमलके फूलके अष्टमंगल मानलगेल अछि । कमल फुलके एन्टीजेनिक औषधिके रूपमें सेहो प्रयोग कएलजाइत अछि । कहल जाईत अछि जे कमलके फूल मनके शान्त बनाबएमें सहयोगि होइत अछि ।

ई फुल समस्याग्रस्त चेतनाके सेहो नियन्त्रणमें मदतगार होइत अछि ।  अहि फूलके साइकोएक्टिभ आ औषधीय प्रभावहेतु अहिमें रहल एपोमोर्फिन आ न्युसिफेरिन यौगिकके जिम्मेवार मानलजाईत अछि ।

कमलके फूल थाल आ दलदलमें सेहो फुलाईत अछि । जे प्रतिकुलतासँ उपर उठिक पवित्र जीवन बाँचएलेल प्रेरित करैत अछि ।

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