विराटनगर ३ चैत । मिथिलाञ्चलके लोक सस्कृतिसग जुडल तथा आपसी भाईचारा आ सद्भावक प्रतिकके रुपमें मनाएल जाएबला होली पर्वके परम्परागत रौनकमें ह्रास होइगतेल छै ।

बसन्त ऋतुके आगमन संगे श्रीपञ्चमीसँ फागु पूर्णिमाधरि मिथिलाञ्चलके घर तथा गामाटोलमें माधुर्य आ प्रेम भावपूर्ण गाएलजाएबला होली गीत गाबके चलन क्रमिकरुपमें घटैत गेल छै । अहिसँ पहिने समाजक अगुवा तथा युवासब एक महिनाधरि होलीके गीत गबैत अएलामें विगत १५ वर्षसँ क्रमिक रुपमें कमी होइगतेल अछि ।

बिगतमें आपसी सुखदुख बंटैत फगआुके जोगिरा गीत गएलापर कतेको दिन पहिनेसँ लोकके होलीके उल्लास महशुस होइत छल मुदा एम्हर आबिक से बात आब एक दू दिनमे सिमित भेल विराटनगरके देबेन्द्र कामत बतौनछथि । ‘पहिने पहिने बसन्त ऋतुके आगमन संगे श्रीपञ्चमीसँ फागु पूर्णिमाधरि टोलटोलमें घुमिक जोगिरा गबैत फागु पर्वके आगमन भचुकल बातक जानकारी देल जाइत छल ।

‘जोगिरामें कामोत्सवके मर्म, धार्मिक आ आध्यात्मिक विशिष्टता, जीवनके उमङ्ग, ऊर्जा, संस्कृति आ परम्पराके आधार,उन्मुक्ति समेटल रहैत छल । मुदा एम्हर आबिक आधुनिकता आ शहरीकरणक कारण उच्छृङखल गीतसबहक बाढि अएलासँ माधुर्य आ प्रेमभाव समेटल होली गीत विरले सुना रहल विराटनगरके प्रवीण नारायण चौधरी बतौने छथि । ‘जोगिरा सर…र…र…, कौन तालपर ढोलक बाजे, कौन ताल मृदङ्ग….कौन तालपर गोरिया नाचे, कौन तालपर हम’ लगायतक पारम्परिक गीतसब एम्हर आबिक सुनए आ गाबके क्रम घटैतगेल ओ बतौनेछथि ।

आइकाल्किे होलीमें नै त पारम्परिक गीत आ नै त मृदङ्ग, ढोल, डम्फाके ताल सुनाइत अछि । सांस्कृतिक एवम् ऐतिहासिक पर्व फागुआके रौनक, झगडा भन्झट, राग द्वेषके कारण घटैतगेल अछि । होली होली नैभक भोगवादी आ सहरमुखी होलीमें परिर्वतन भेलासँ एकर पौराणिकतासग जुडल होली गीत लोप भरहल मैथिली अभियानी चौधरीके कहब छन्हि । ‘पहिने–पहिने बुढपुरानसब साँझ भेलापर गामक बीचमें रहल चौपालपर जमा भक झाइल, मृदङ्ग, ढोल सहित समूहगत रुपमें होली गीत गाओल जाइत छल ।

’,विराटनगरके महेन्द्र ठाकुर कहलनि ‘मुदा, आब से बात बिसरल कहानी जेहन भचुकल अछि ।’ युवापुस्ता शहरीकरण आ आधुनिकतामें रमए लगलासँ मौलिक संस्कृतिसब लोप होइगतेल हुनकर कहब छन्हि । सांस्कृतिक दृष्टिकोणसँ बिशिष्ट महत्व रहल होली पर्व, विभिन्न जाति धर्मके लोकके प्रभावित कएने अछि मुदा एकर रौनक समाप्त भरहल अभियन्तासब बतबैछथि ।

पहिने होली गीतके माध्यमसँ धार्मिक तथा सद्भावक सन्देश देल जाइत छल मुदा एम्हर आबिक अश्लील गीतसब होलीमें प्रभाव जबमैत गेल अछि । अहि वर्षके होली पहाडी जिल्लामें चैत ३ गते आ तराईमे ४ गते मनाओलजाएत ।

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