विराटनगर । मैथिलानी महिलासब अपन पतिके दीर्घायुके कामना करैत आई (शुक्रदिन) बटसावित्री अर्थात बरिसाईत पर्व मनारहल अछि ।
सावित्रीद्वारा अपन पति सत्यवानके यमराजके हाथसँ मुक्त कराएलगेल विश्वासके स्मृति स्वरुप ई पाबैन मनाओल जाईत अछि । बरक गाछ तर कएलाजएबला इ पुजा करएलेल महिलासब चौक आ मन्दीरसबमें रहल बरके गाछ तर जमा होइत अछि । कतेको ब्रतालु अपन घरेमें बरके गाछ तथा ठाह्रि राखिक सेहो पुजा करैत अछि ।
जेठ कृष्ण अमावस्या तिथिमें प्रत्येक वर्ष मनाएलजाएबल अहि पर्वमें देवी पार्वती, सावित्री आ नाग–नागिनके साथे बरके गाछके पुजा करवाक प्रचलन अछि । मिथिलाके महिलासब भोरेसँ उपवास रहिक पूजाके डालीमें आम, केरा,बैन, मिठाई, चना, खिरा लगायतक सामग्री लक बरके पूजा कक सावित्री, नागनागिन आ पार्वतीके प्रसाद चढबैत अछि ।
प्राचिनकालमें सावित्रीद्वारा अपन पति सत्यवानके यमराजके हाजसँ मुक्त कराक नया जीवन दिआबमें सफल भेल आ सैह समयसँ बरसाइत पर्व मनाबएके शुरु भेल धार्मिक विश्वास अछि । बिशेष कक नवविवाहित महिलासब अत्यन्त उत्साह आ धूमधामक संग अहि पुजामें सहभागि होइत अछि ।
नवविवाहित महिलाके सासुरसँ आनलगेल नव बस्त्र धारण कक सखीसबहक संग विवाह आ बरसाइत पर्वके पारम्परिक गीत गबैत बरके गाछ तर जमा पुजा करवाक प्रचलन अछि । पुजाके क्रममें बरके गाछके धागासँ ७ बेर बान्हिक पुजा कएलजाइत अछि । ओहि क्रममें बरिसाईतके कथा सुनएके प्रचलन सेहो अछि ।
बरिसाइत पूजा सम्पन्न भेलापर चाउर, बदाम आ आन पकवानसब गामभरि बएन सेहो बाँटल जाईत अछि ।