विराटनगर ३ बैशाख । भारतके गोबर्धन मठ पुरी पिठाधिश्वर शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज विराटनगर आबिरहल छथि ।

बैशाख ४ गते साँझ ४ बजे हुनकर विराटनगर अवाइके तालिका अछि । शंकराचार्यके स्वागतहेतु विराटनगरमें धर्मानुरागिसबहक एकटा समिति सेहो गठन कएलगेल अछि । शंकराचार्यके उपस्थितिमें बैशाख ५ आ ६ गते अतिथि सदनमें विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमसब आयोजन कएलजाएत स्वागत समिति जानकारी देने अछि ।

शंकराचार्यके उपस्थितिमें धर्मसभा,अभिनन्दन आ आशिर्वचन लगायतक कार्यक्रम निर्धारण कएलगेल अछि ।
वैदिक सनातन वर्णाश्रम हिन्दु धर्मके संरक्षण करएहेतु आ लुप्त भेल ज्ञान विज्ञान तथा दर्शनके पुनः प्रतिष्ठित करएलेल आईसँ २५०७ वर्ष पहिने भगवान शंकरके अवतारके रुपमें आदी गुरु शंकराचार्य मानव शरिर लक अहि धर्तीमें आएल छलथि ।

आदी गुरु शंकराचार्य तत्कालिन समयमें धर्म, कर्म आ कुलपरम्परासँ च्युत भक मार्ग भटकल हिन्दुसबमें पुनः वैदिक ज्ञान आ चेतनाके संचार कक हिन्दुत्व आ वैदिक परम्परा स्थापित कएलनि । ओ कमे समायावधिमें सम्पुर्ण भारतवर्षके भ्रमण कक घरघरमें जाक हिन्दुसबके वैदिक जिवनपद्दति पुनर्जीवित कएलनि ।

नेपालके सेहो भ्रमण कक भगवान श्री पशुपतिनाथमें रुकल पुजा आराधनाके सुचारु करएलनि । हिन्दु धर्मके संरक्षण, प्रबर्धन आ उत्थानहेतु ओ ४ दिशामें ४ वेदके लेल ४ मठ कक ४ गोटे शंकराचार्य नियुक्त सेहो कएलनि । उत्तर पूर्वी दिशामें ऋग्वैदिक पूर्वाम्नाय गोवर्धन मठ पुरीपीठ अछि, जाहिठाम बर्तमान शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती महाराज विराजमान छथि । ओ आदि गुरु शंकराचार्य सँ गणना कएलापर १४५ म शंकराचार्य छथि ।

शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती महाराज सम्पुर्ण वैदिक वांगमयके साथ साथे महान गणितज्ञ आ अर्थशास्त्री सेहो छथि । गणित, योग, दर्शन, नीतिशास्त्र, व्यवहारीक जीवन, धर्म–अध्यात्म लगायतक दर्जनौं विषयमें २०० सँ बेसी ग्रन्थ रचना केनिहार स्वामीजीके गणितके सम्बन्धमें मात्र दर्जन सँ बेसी ग्रन्थसब अछि ।

नेपाल भारत सहित विश्वभरिके लब्धप्रतिष्ठित विद्वान, वैज्ञानिक, समाजसेवी, राजनीतिज्ञ, वकिल, अर्थशास्त्रीसब हुनक आशीर्वचन, निर्देशन आ ज्ञान आर्जनहेतु भेंटघाट करैत अछि । भारतके अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्था गुरुजीके मार्गदर्शन आ वैदिक गणित ज्ञानहेतु गुरुजीके संस्थामें आमन्त्रित कक प्रवचन आयोजन कएने छल ।

ओहिठामक वैज्ञानिक तथा खोजकर्ता अन्तरिक्ष विज्ञान आ रकेट प्रक्षेपणमें गुरुजीसँ मार्गदर्शन लेलक । ISRO–Indian Space Research Organisation के वैज्ञानिकसब गुरुजीसँ गणित दर्शनके प्रवचन, वैदिक गणित शुत्र तथा गणना पद्दतिसँ लाभान्वित भेल । IIMs, IIT, IISc सेहो गणितीय परामर्शहेतु गुरुजीसँ परामर्श लैत अछि ।

विश्व बैंक अपन समस्याके समाधानकलेल शंकराचार्यके भेटएलेल पहुँचैत अछि, नासाके वैज्ञानिकसब सेहो गुरुजीके आशीर्वचन आ ज्ञान मार्गक अवलम्बन करैत अछि । रसिया, कोरिया, जर्मनी, जापान, अमेरिका लगायत विश्वक शक्तिशाली कहलगेल राष्ट्रक वैज्ञानिकसब हिनक विचार आ दर्शनमें खोज अनुसन्धान करैत अछि ।

स्मरण रहय, गोवर्धनमठके १४३ म शंकराचार्य भारतीय कृष्ण तिर्थ महाराज सन् १९५८ फेब्रुअरीमें ३ महिनाकलेल अमेरिका आ बेलायतक यात्रा कक वैदिक गणित दर्शनके बिषयमें पढएने छलथि । स्वामीजीके लस एन्जल्स आ क्यालिफोर्नियाके विभिन्न विश्वविध्यालयसबमें वैदिक गणितके बिषयमें प्रवचनहेतु आमन्त्रित कएलगेल छल ।

गोबर्धन मठ पुरीसंग नेपालक विशेष सम्बन्ध अछि । ओहिठामक जगन्नाथ मन्दिरमे नेपालक राजाके पुजा क पाबके विशेष अधिकार अछि । नेपालक राजा ज्ञानेन्द्र ३ वर्ष पहिले जगन्नाथ मन्दिरके भ्रमण कक शंकराचार्यसंगे पुजा अर्चना कएने छलथि ।

ओहिठामक मन्दिरमें नेपालक राजा आ ओहिठामक शंकराचार्यके पुजा क पाबके विशेष अधिकार अछि । हालके शंकराचार्य श्री निश्चलानन्द सरस्वतीके जन्म मिथिला क्षेत्रमें भेलासँ सेहो नेपालसँग विशेष सम्बन्ध आ महत्व ओतबे अछि । दरभंगा महाराजके राज पण्डितके सुपुत्र निश्चलानंद सरस्वती के जन्म इस्वीसम्बत १९४३ में दरभंगा में भेल छल ।

ओ तिब्बिया महाविद्यालयके विद्यार्थी रहैतकाल संन्यास लेबाक निर्णय कएलनि आ काशी,वृन्दावन,नैमिषारन्य, श्रृंगेरी इत्यादि स्थानमें शास्त्रक अध्ययन कएलनि । १९७४ में ओ स्वामी करपात्रीसँ दीक्षा ग्रहण कएलापश्चात निश्चलानंद नाम ग्रहण कएलनि ।

श्रोत–नेपाल दर्शन आ विकिपीडिया

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