–नवीन कर्ण
बराहक्षेत्र,१० चैत २०७७–सप्तकोशी नदीके मध्य धारमे रहल किराँती आस्थाके प्रतिक खुवालुङ नामक शिलाके नष्ट नैकरलेल सरोकारवालासब माग कएने अछि । खुवालुङ किराँत धर्म संस्कृतिके पहचान आ आस्थासंग जुडल रहलास तेकरा नष्ट केनाई उचित नैरहल ओ सब बतौने अछि ।
सुनसरीके बराहक्षेत्रसँ १ किलोमिटर उत्तर सप्तकोशी नदीके मध्य धारमें खुवालुङ नामक एकटा बिशाल पाथर अछि । उदयपुर,धनकुटा आ भोजपुरके सिमानाम रहल त्रिवेणीघाटके सप्तकोशी जलक्षेत्रमे अवस्थित उक्त पाथर लगभग २० फिट आयाताकारके अछि । ओना देखलापर सामान्य जेहन लागएबला ई पाथर नम्हर इतिहासके वाहक अछि । ई पाथर किराँत धर्मसंस्कृतिके प्रतिनिधित्व करैत अछि । ६ हजार बर्ष पहिने लिखलगेल किराँतीसबहक धर्मग्रन्थ ‘मुन्धुम’ में सेहो अहि पाथरके वर्णन भेटैत अछि । कोनो अनुष्ठान शुरु वा अन्त करैतकाल किराँतीसब खुवालुङ पाथरके नाम उच्चारण करैत अछि । ओकरसबहक अधिकांश संस्कार अहि पाथरके नामसँ जोडिक शुरु होइत अछि । किराँत भाषामे पानीके खुवा आ पाथरके लुङ कहल जाईत अछि । किराँत समुदाय अहि पाथरमें देवताके बास रहल विश्वासक संग पुजैत आएल अछि ।
सप्तकोशी नदीके चतरासँ उत्तर बराहक्षेत्र आ त्रिवेणीघाटके जलमार्ग होइत किछबर्ष पहिनेसँ जेटबोटसब संचालित अछि । आ उक्त पानी जहाजसब खुवालुङके अगलबगल सँ आवाजाही करैत अछि । हाल आबिक सरकारद्वाँ उक्तक्षेत्रमे जलमार्गके थप बिस्तार करके तैयारी कएजारहल अछि । सैह सन्दर्भमें वितल फागुन ८ गते विराटनगरमें आयोजित एकटा सभाके सम्बोधन करैत प्रधानमन्त्री केपीशर्मा ओली जलमार्ग विस्तारके क्रममें अवरोधकके रुपमें रहल खुवालुङ पाथरके फोडलजाएत बतएलापर सरोकारवाला विरोधमे उतरल अछि । ओसब खुवालुङ किराँत समुदायके संस्कृतिसंग जुडल बस्तु रहलासँ तेकरा नाश करके बदला संरक्षण करके माग करहल अछि । उक्त क्षेत्रमें जलमार्ग विस्तार करैतकाल खुवालुङके संरक्षण करैत विभिन्न विकल्पसब अपनाएजेवाक चाहि प्रदेश सभा सदस्य सुर्यमाराज राई बतौनेछथि । प्रदेश सभासदस्य राई खुवालुङके सरकारद्वारा राज्यके संम्पतिकेरुपमें संरक्षण तथा सम्र्बधन कएलजेवाकचाही बतौलनि । स्थानीयबासीसब ओहिक्षेत्रमें नदीके धार किछु परिवर्तन कक सेहो जलमार्गके विस्तार कएलजासकैत अछि बतौने अछि ।
खुवालुङ एकटा पाथर नहि आस्था अछि
